देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3 18. अँधेरी रात में : देवांगना शयन-आरती हो रही थी। मन्दिर में बहुत-से स्त्री-पुरुष एकत्र थे। संगीत-नृत्य हो रहा था। भक्त गण भाव-विभोर होकर नर्तिकाओं की रूप माधुरी का मधुपान कर रहे थे। दिवोदास एक अँधेरे कोने में छिपा खड़ा था। वह सोच रहा था, शयन-विधि …

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देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2 13. मनोहर प्रभात : देवांगना बड़ा मनोहर प्रभात था। शीतल-मन्द समीर झकोरे ले रहा था। मंजुघोषा प्रातःकालीन पूजा के लिए संगिनी देवदासियों के साथ फूल तोड़ती-तोड़ती कुछ गुनगुना रही थी। उसका हृदय आनन्द से उल्लसित था। कोई भीतर से उसके हृदय को गुदगुदा रहा था। एक …

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देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1 आमुख : देवांगना आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों को ब्रह्मचर्य और सदाचार की शिक्षा देकर—बहुत जनों के हित के लिए, बहुत जनों के सुख के लिए, लोक पर दया करने के लिए, देव-मनुष्यों के प्रयोजन-हित सुख के लिए संसार में …

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