देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3
देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3 18. अँधेरी रात में : देवांगना शयन-आरती हो रही थी। मन्दिर में बहुत-से स्त्री-पुरुष एकत्र थे। संगीत-नृत्य हो रहा था। भक्त गण भाव-विभोर होकर नर्तिकाओं की रूप माधुरी का मधुपान कर रहे थे। दिवोदास एक अँधेरे कोने में छिपा खड़ा था। वह सोच रहा था, शयन-विधि …