मनोरमा (उपन्यास) : मुंशी प्रेमचंद (अध्याय 19-अध्याय 21 )
मनोरमा अध्याय 19 राजा विशाल सिंह ने इधर कई साल से राजकाज छोड़ रखा था। मुंशी वज्रधर और दीवान साहब की चढ़ बनी थी। प्रजा के सुख दुख की चिंता अगर किसी को थी, तो मनोरमा को थी। राजा साहब के सत्य और न्याय का उत्साह ठंडा पड़ गया था। मनोरमा को पाकर उन्हें किसी …