गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4
गृहदाह (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 4 (33) पाँच-छः दिन हुए, दो-तीन नौकर-नौकरानियों के अलावा सब कलकत्ता चले गये। एक मकान-मालिक नहीं गये। जरूरी काम के चलते, जाते-जाते वे न जा सके। इन कै दिनों तक रामचरण बाबू अपने काम में व्यस्त रहे, खास नजर नहीं आते। आज पहले-सुबह ही एकाएक वे ऊपर के …