झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 6

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 6

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 6 27 एलिस का भेजा हुआ राजा गंगाधरराव का १९ नवंबर का खरीता और उनके देहांत का समाचार मालकम के पास जैसे ही कैथा पहुँचा, उसने गवर्नर जनरल को अपनी चिट्ठी अविलंब (२५ नवंबर के दिन) भेज दी। चिट्ठी के साथ एलिस का भेजा हुआ खरीता और …

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 5

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 5 21 नाटकशाला की ओर से गंगाधरराव की रूचि कम हो गई। वे महलों में अधिक रहने लगे। परंतु कचहरी-दरबार करना बंद नहीं किया। न्याय वे तत्काल करते थे- उलटा-सीधा जैसा समझ में आया, मनमाना। दंड उनके कठोर और अत्याचारपूर्ण होते थे। लेकिन स्त्रियों को कभी नहीं …

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 4

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 4

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 4 17 राजा गंगाधरराव और रानी लक्ष्मीबाई का कुछ समय लगभग इसी प्रकार कटता रहा। १८५० में (माघ सुदी सप्तमी संवत्‌ १९०७) वे सजधज के साथ (कंपनी सरकार की इजाजत लेकर!) प्रयाग, काशी, गया इत्यादि की यात्रा के लिए गए। लक्ष्मीबाई साथ थीं। उनको किले में बंद …

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 3

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 3

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 3 14 यथासमय मोरोपंत मनूबाई को लेकर झाँसी आ गए। तात्या टोपे भी साथ आया। विवाह का मुहूर्त शोधा जा चुका था। धूमधाम के साथ तैयारियाँ होने लगीं। नगरवाले गणेश मंदिर में सीमंती, वर-पूजा इत्यादि रीतियाँ पूरी की गईं। राजा गंगाधरराव घोड़े पर बैठकर गणेश मंदिर गए। …

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 2

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 2

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 2 8 झाँसी में उस समय मंत्रशास्त्री, तंत्रशास्त्री वैद्य, रणविद् इत्यादि अनेक प्रकार के विशेषज्ञ थे । शाक्त, शैव, वाममार्गी, वैष्णव सभी काफी तादाद में । अधिकांश वैष्णव और शैव। और ऐसे लोगों की तो बहुतायत ही थी जो ‘गृहे शाक्ता: बहिर्शैवा: सभामध्ये च वैष्णवा:’ थे। इन …

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झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 1

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 1

झाँसी की रानी-लक्ष्मीबाई : वृंदावनलाल वर्मा (उपन्यास) Part 1 उदय 1. वर्षा का अंत हो गया। क्वार उतर रहा था। कभी-कभी झीनी-झीनी बदली हो जाती थी। परंतु उस संध्या के समय आकाश बिलकुल स्वच्छ था। सूर्यास्त होने में थोड़ा विलम्ब था। बिठूर के बाहर गंगा के किनारे तीन अश्वारोही तेजी के साथ चले जा रहे …

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