आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1 एक : आग और धुआं इंगलैंड में आक्सफोर्डशायर के अन्तर्गत चर्चिल नामक स्थान में सन् १७३२ ईस्वी की ६ दिसम्बर को एक ग्रामीण गिर्जाघर वाले पादरी के घर में एक ऐसे बालक ने जन्म लिया जिसने आगे चलकर भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना का …

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अदल-बदल (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

अदल-बदल (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

अदल-बदल (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2 ८ : अदल-बदल डाक्टर कृष्णगोपाल ने श्रीमती मायादेवी का ठीक-ठीक इलाज कर दिया। उनका प्रतिदिन डिस्पेन्सरी में आना, यथेष्ट समय तक वहां ठहरना, गपशप उड़ाना, ठहाके लगाना, बालिका की आंखों में धूल झोंकना, सब कुछ हुआ। मायादेवी की धृष्टता और साहस बहुत बढ़ गया। डाक्टर से, प्रथम …

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अदल-बदल (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

१ : अदल-बदल

अदल-बदल (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1 १ : अदल-बदल माया भरी बैठी थी। मास्टर हरप्रसाद ने ज्योंही घर में कदम रखा, उसने विषदृष्टि से पति को देखकर तीखे स्वर में कहा—‘यह अब तुम्हारे आने का समय हुआ है? इतना कह दिया था कि आज मेरा जन्मदिन है, चार मिलने वालियां आएंगी, बहुत कुछ …

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देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3 18. अँधेरी रात में : देवांगना शयन-आरती हो रही थी। मन्दिर में बहुत-से स्त्री-पुरुष एकत्र थे। संगीत-नृत्य हो रहा था। भक्त गण भाव-विभोर होकर नर्तिकाओं की रूप माधुरी का मधुपान कर रहे थे। दिवोदास एक अँधेरे कोने में छिपा खड़ा था। वह सोच रहा था, शयन-विधि …

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देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2 13. मनोहर प्रभात : देवांगना बड़ा मनोहर प्रभात था। शीतल-मन्द समीर झकोरे ले रहा था। मंजुघोषा प्रातःकालीन पूजा के लिए संगिनी देवदासियों के साथ फूल तोड़ती-तोड़ती कुछ गुनगुना रही थी। उसका हृदय आनन्द से उल्लसित था। कोई भीतर से उसके हृदय को गुदगुदा रहा था। एक …

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देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1 आमुख : देवांगना आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों को ब्रह्मचर्य और सदाचार की शिक्षा देकर—बहुत जनों के हित के लिए, बहुत जनों के सुख के लिए, लोक पर दया करने के लिए, देव-मनुष्यों के प्रयोजन-हित सुख के लिए संसार में …

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वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 11

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 11

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 11 141. मागध मंत्रणा : वैशाली की नगरवधू सेनापति भद्रिक और सम्राट ने स्कन्धावार राजगृह के मन्त्रणागार में युद्ध- मन्त्रणा की । मन्त्रणा में सम्राट, महासेनापति आर्य भद्रिक , सेनापति उदायि , सेनापति सोमप्रभ और अमात्य सुनीथ उपस्थित थे। उनके अतिरिक्त अपनी – अपनी …

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वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 10

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 10

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 10 127 . एकान्त पान्थ : वैशाली की नगरवधू शरत्कालीन सुन्दर प्रभात था । राजगृह के अन्तरायण में अगणित मनुष्यों की भीड़ भरी थी । लोग अस्त्र – शस्त्रों से सुसज्जित इधर – उधर आ – जा रहे थे। प्रत्येक मनुष्य के मुंह पर …

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वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 9

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 9

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 9 113. सन्निपात -भेरी : वैशाली की नगरवधू फसल कट चुकी थी और वर्षा आरम्भ होना चाहती थी । वैशाली में युद्ध की चर्चा फैलती जाती थी । मगध- सम्राट बिम्बसार की भीषण तैयारियों की सूचना प्रतिदिन चर ला रहे थे। परिषद् की गणसंस्था …

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