आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 4

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 4

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 4 सोलह : आग और धुआं भारत के हृदय में अवध स्थित है। भारत में अंग्रेजों के आगमन के समय भी इस भूमि में अनेक उपयोगी आकर्षण थे। इस भूमि को देखकर अंग्रेजों ने इसे विपुल जलभूमि, ऊँचे-ऊँचे बाँस के जंगलों से लहराते हुए शोभायमान दृश्य, …

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आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3 नौ : आग और धुआं ई० १७५४ में इंगलैण्ड और फ्रांस में राजनैतिक स्थितियाँ विभिन्न थीं। जबकि इंगलैण्ड सम्पूर्ण रूप से भारत की ओर समय-समय पर उचित सहायता भेजता रहा, तब फ्रांस अपने आन्तरिक झगड़ों में फंसा रहा। इंगलैण्ड के राज्य-परिवार में कभी पारिवारिक झगड़े …

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आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1 चार : आग और धुआं मीरजाफर नवाब हुआ और धूर्त स्क्वेफन उसका एजेण्ट बनकर दरबार में विराजा। वारेन हेस्टिग्स उसका सहायक बनाया गया। कुछ दिन बाद जब स्क्वेफन कौंसिल में सभ्य नियत हुआ-तब, उक्त गौरव का पद वारेन हेस्टिग्स को मिला। यह पद बड़ी जिम्मेदारी …

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आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

आग और धुआं (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1 एक : आग और धुआं इंगलैंड में आक्सफोर्डशायर के अन्तर्गत चर्चिल नामक स्थान में सन् १७३२ ईस्वी की ६ दिसम्बर को एक ग्रामीण गिर्जाघर वाले पादरी के घर में एक ऐसे बालक ने जन्म लिया जिसने आगे चलकर भारत में अंग्रेजी राज्य की स्थापना का …

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अदल-बदल (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

अदल-बदल (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

अदल-बदल (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2 ८ : अदल-बदल डाक्टर कृष्णगोपाल ने श्रीमती मायादेवी का ठीक-ठीक इलाज कर दिया। उनका प्रतिदिन डिस्पेन्सरी में आना, यथेष्ट समय तक वहां ठहरना, गपशप उड़ाना, ठहाके लगाना, बालिका की आंखों में धूल झोंकना, सब कुछ हुआ। मायादेवी की धृष्टता और साहस बहुत बढ़ गया। डाक्टर से, प्रथम …

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अदल-बदल (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

१ : अदल-बदल

अदल-बदल (उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1 १ : अदल-बदल माया भरी बैठी थी। मास्टर हरप्रसाद ने ज्योंही घर में कदम रखा, उसने विषदृष्टि से पति को देखकर तीखे स्वर में कहा—‘यह अब तुम्हारे आने का समय हुआ है? इतना कह दिया था कि आज मेरा जन्मदिन है, चार मिलने वालियां आएंगी, बहुत कुछ …

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देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3 18. अँधेरी रात में : देवांगना शयन-आरती हो रही थी। मन्दिर में बहुत-से स्त्री-पुरुष एकत्र थे। संगीत-नृत्य हो रहा था। भक्त गण भाव-विभोर होकर नर्तिकाओं की रूप माधुरी का मधुपान कर रहे थे। दिवोदास एक अँधेरे कोने में छिपा खड़ा था। वह सोच रहा था, शयन-विधि …

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देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2 13. मनोहर प्रभात : देवांगना बड़ा मनोहर प्रभात था। शीतल-मन्द समीर झकोरे ले रहा था। मंजुघोषा प्रातःकालीन पूजा के लिए संगिनी देवदासियों के साथ फूल तोड़ती-तोड़ती कुछ गुनगुना रही थी। उसका हृदय आनन्द से उल्लसित था। कोई भीतर से उसके हृदय को गुदगुदा रहा था। एक …

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देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

देवांगना ( उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1 आमुख : देवांगना आज से ढाई हज़ार वर्ष पूर्व गौतम बुद्ध ने अपने शिष्यों को ब्रह्मचर्य और सदाचार की शिक्षा देकर—बहुत जनों के हित के लिए, बहुत जनों के सुख के लिए, लोक पर दया करने के लिए, देव-मनुष्यों के प्रयोजन-हित सुख के लिए संसार में …

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