सपना टूट गया- विविध के स्वर-(हिन्दी कविता)-मेरी इक्यावन कविताएँ – अटल बिहारी वाजपेयी
सपना टूट गया हाथों की हल्दी है पीली, पैरों की मेहँदी कुछ गीली पलक झपकने से पहले ही सपना टूट गया। दीप बुझाया रची दिवाली, लेकिन कटी न अमावस काली व्यर्थ हुआ आह्वान, स्वर्ण सवेरा रूठ गया, सपना टूट गया। नियति नटी की लीला न्यारी, सब कुछ स्वाहा की तैयारी अभी चला दो कदम कारवां, …