एक अबोध बच्ची (बर्बरता)- हिंदी कविता -अजय शोभने
एक अबोध बच्ची (बर्बरता) एक अबोध बच्ची ने, अपना बचपन गुजारा, पूजकर पत्थर के देवता को, जिसे कभी तराश कर बनाया था, उसके पिता ने अपने हाथों से, और आज, उसी देवसन्तान ने, मानवता को शर्मसार कर, चीतकार भरे आकाश में, पत्थरों से सिर मारती बच्ची को, मानवता रक्तरंजित कर, बनाया अपनी हबश का शिकार, …