चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

Contents1 बीस2 इक्कीस3 बाईस4 तेईस5 चौबीस6 पच्चीस7 छब्बीस8 सत्ताईस9 अट्ठाईस चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3 बीस बोलचाल से हो, इशारे से हो, कभी किसी के सामने सतीश ने सावित्री का ज़िक्र नहीं किया। इसी कारण जब यह बात किरणमयी के सामने प्रकट हो गयी, तभी से उसके सारे शरीर से अमृत का …

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चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

Contents1 नौ2 दस3 ग्यारह4 बारह5 तेरह6 चौदह7 पन्द्रह8 सोलह9 सत्रह10 अठारह11 उन्नीस चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 नौ सतीश हतबुद्धि सा हो गया था। क्यों सावित्री अविश्राम आकर्षित करती है और क्यों पास आने पर इस तरह निष्ठुर आघात करके दूर हटा देती है? उस दिन सारी रात बराबर सोचते रहने पर …

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चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

चरित्रहीन (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 एक पछाँह जैसे बड़े नगर में इन दिनों जाड़े का मौसम आ गया था। रामकृष्ण परमहंस के एक शिष्य किसी एक शुभ कार्य के लिए धन संग्रह करने इस शहर में आये थे। उनके भाषणों की सभा में उपेन्द्र को सभापति बनना होगा, और उस पद की …

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ब्राह्मण की बेटी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

ब्राह्मण की बेटी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3

ब्राह्मण की बेटी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 3 प्रकरण 8 पूजा पाठ तथा सात्विक जलपान से निवृत्त होकर नीचे उत्तर आये धर्मावतार गोलोक चटर्जी किसी कार्यवश बाहर निकल ही रहे थे कि कुछ याद आ जाने के कारण लौट आये और एक बरामदे से दूसरे बरामदे में घूमने लगे। अचानक रुककर ज्ञानदा को …

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ब्राह्मण की बेटी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

ब्राह्मण की बेटी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

ब्राह्मण की बेटी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 प्रकरण 4 संध्या का स्वास्थ्य पिछले कुछ दिनों से बिगड़ता जा रहा है, पिता के उपचार से लाभ होना, तो दूर रहा, उलटे हानि हो रही है। जगदधात्री डॉक्टर विपिन से सम्पर्क करने को कहती और संध्या असहमति में झगड़ा करती। आज शाम संध्या द्वारा …

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ब्राह्मण की बेटी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

ब्राह्मण की बेटी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

ब्राह्मण की बेटी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 प्रकरण 1 मुहल्ले में घूमने-फिरने के बाद रासमणि अपनी नातिन के साथ घर लौट रही थी। गाँव की सड़क कम चौड़ी थी, उस सड़क के एक ओर बंधा पड़ा मेमना (बकरी का बच्चा) सो रहा था। उसे देखते ही बुढ़िया नातिन को चेतावनी देने के …

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बिराज बहू (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

बिराज बहू (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

बिराज बहू (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 8 पता नहीं किस तरह सुन्दरी को घर जाने की वात नमक-मिर्च लगाकर बिराज के कानो में पड़ गई। पड़ोस की बुआ आई थी। उसने खूब आलोचना की। बिराज ने सबकुछ सुनकर गंभीर स्वर में कहा- “बुआ माँ! आपको उनका एक कान काच लेना चाहिए था!” …

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बिराज बहू (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

बिराज बहू (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

बिराज बहू (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 1 हुगली जिले का सप्तग्राम-उसमें दो भाई नीलाम्बर व पीताम्बर रहते थे। नीलाम्बर मुर्दे जलाने, कीर्तन करने, ढोल बजाने और गांजे का दम भरने में बेजोड़ था। उसका कद लम्बा, बदन गोरा, बहुत ही चुस्त, फुर्तीला तथा ताकतवर था। दूसरों के उपकार के मामले में उसकी …

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बड़ी दीदी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

बड़ी दीदी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2

Contents1 प्रकरण 62 प्रकरण 73 4 प्रकरण 8 बड़ी दीदी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 2 प्रकरण 6 लगभग पांच वर्ष बीत चुके हैं। राय महाशय अब इस संसार में नहीं हैं और ब्रजराज लाहिडी भी स्वर्ग सिधार चुके हैं। सुरेन्द्र की विमाता अपने पति की जी हुई सारी धन सम्पति लेकर अपने पिता …

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बड़ी दीदी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

बड़ी दीदी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1

Contents1 प्रकरण 12 प्रकरण 23 प्रकरण 34 प्रकरण 45 प्रकरण 56 बड़ी दीदी (बांग्ला उपन्यास) : शरतचंद्र चट्टोपाध्याय Part 1 प्रकरण 1 इस धरती पर एक विशिष्ट प्रकार के लोग भी वसते है। यह फूस की आग की तरह होते हैं। वह झट से जल उठते हैं और फिर चटपट बुझ जाते हैं। व्यक्तियों के …

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