तुम कहोगे यही ? (ईश्वरवादी सोच अवैज्ञानिक)- हिंदी कविता -अजय शोभने

तुम कहोगे यही ?  (ईश्वरवादी सोच अवैज्ञानिक)- हिंदी कविता -अजय शोभने

तुम कहोगे यही ? (ईश्वरवादी सोच अवैज्ञानिक) तुम कहोगे यही ? मैंने तुम्हें ठीक से पुकारा नहीं होगा ! बहुत सुना जग में, चीरहरण पर तुम आ जाते हो, पर मेरी आबरू लुटती रही, और तुम आये नहीं हो ! तुम कहोगे यही ? मैंने तुम्हें ठीक से पुकारा नहीं होगा, पर मैं कहूंगी, अब …

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सागर में मोती भरे-पड़े हैं (लक्ष्य प्राप्ती की दिशा)- हिंदी कविता -अजय शोभने

सागर में मोती भरे-पड़े हैं  (लक्ष्य प्राप्ती की दिशा)- हिंदी कविता -अजय शोभने

सागर में मोती भरे-पड़े हैं (लक्ष्य प्राप्ती की दिशा) सागर में मोती भरे-पड़े हैं, पर वो कितनों को मिल पाते हैं ? जो तैर – डूबता-उतराता है, बस वे मोंती उसके हो जाते हैं ! एवरेस्ट की चोटी छूने, कितनों के मन ललचाते हैं, उनमें से न जाने कितने ही, सोच-सोच रह जाते हैं ! …

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एक अबोध बच्ची (बर्बरता)- हिंदी कविता -अजय शोभने

एक अबोध बच्ची  (बर्बरता)- हिंदी कविता -अजय शोभने

एक अबोध बच्ची (बर्बरता) एक अबोध बच्ची ने, अपना बचपन गुजारा, पूजकर पत्थर के देवता को, जिसे कभी तराश कर बनाया था, उसके पिता ने अपने हाथों से, और आज, उसी देवसन्तान ने, मानवता को शर्मसार कर, चीतकार भरे आकाश में, पत्थरों से सिर मारती बच्ची को, मानवता रक्तरंजित कर, बनाया अपनी हबश का शिकार, …

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मरे-मरे से तुम जीते हो- हिंदी कविता -अजय शोभने

मरे-मरे से तुम जीते हो- हिंदी कविता -अजय शोभने

. मरे-मरे से तुम जीते हो (जीवन जीने की कला) मरे-मरे से तुम जीते हो, है अभी तो मौसम हरा-भरा ! जीवन जीना सीखो उनसे, जिनका जीवन संघर्ष भरा …… ग़ुलाम बने हो क्यों अभी भी, अब तो बंधन टूट चुके हैं, जातिवाद न पैर पसारे, मनुस्मृती के पन्ने जले पड़े हैं ! जली हुई …

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जिसके चरण-चरण – हिंदी कविता -अजय शोभने

जिसके चरण-चरण – हिंदी कविता -अजय शोभने

जिसके चरण-चरण – हिंदी कविता -अजय शोभने (बुद्ध मुझे, अंधकार से निकालें) जिसके चरण-चरण हों, करुणा से गर्वित, मुझको बस ऐसा, सम्यक सम्बुद्ध चाहिए ! छला गया हूँ, अंधश्रद्धा-अंधविश्वासों से, बस अब तो सत्य-मार्ग का ज्ञाता चाहिए ! शील, समाधी, प्रज्ञा, से भवन हो निर्मित, मुझको अपना वो, स्वर्णिम तीर्थ चाहिए ! जिसके चरण-चरण हों, …

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तुम्हें कुदरत ने इंसान बनाया- हिंदी कविता -अजय शोभने

तुम्हें कुदरत ने इंसान बनाया- हिंदी कविता -अजय शोभने

तुम्हें कुदरत ने इंसान बनाया (इंसानियत का मार्ग) तुम्हें कुदरत ने इंसान बनाया, इंसान ही तुमको बनना है, राह कठिन है सच्चाई की, और तुमको उस पर चलना है। सहनशीलता बनी रहे जीवन में, ईर्ष्या का न भाव रहे, हमें मिला है, मिले सभी को, हृदय में ऐसी चाह रहे। कष्टकंटकों में हो कोई, तो …

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जीवन में मधुसम प्रेम घोल- हिंदी कविता -अजय शोभने

जीवन में मधुसम प्रेम घोल- हिंदी कविता -अजय शोभने

जीवन में मधुसम प्रेम घोल- हिंदी कविता -अजय शोभने  (प्रकृति-प्रेम) जीवन में मधुसम प्रेम घोल, ऊँचे स्वर में न इतना बोल, अपने को न अधिक तोल, जीवन में मधुसम प्रेम घोल ! सूरज ने नित आकर, धरणी पर किरणें डाली, पृथ्वी ने खुश हो, निजगोद में हरियाली पाली ! शीतल समीर संग, झूम उठी, फूलों …

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सावित्रीबाई फुले- हिंदी कविता -अजय शोभने

सावित्रीबाई फुले- हिंदी कविता -अजय शोभने

सावित्रीबाई फुले (युवा नारी को पैगाम) ‘सावित्रीबाई फुले’ बन, शौर्य को परवान दो, नई सदी में राष्ट्र को आनबान और शान दो ! नष्ट कर दो कुत्सित भरे विचार दासता के, जो लिंग के आधार पर मिथ्या गुमान करते ! चूर–चूर कर दो अभिमान उन दम्भियों के, जो प्रेमबंधन में, दानदहेज की मांग करते ! …

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संध्या की इस गोधूली में- हिंदी कविता -अजय शोभने

संध्या की इस गोधूली में- हिंदी कविता -अजय शोभने

संध्या की इस गोधूली में- हिंदी कविता -अजय शोभने (बाबा साहब का संघर्ष) संध्या की इस गोधूली में, बाबा साहब याद आपकी आ जाती है, कितना भी रोकूं इस हृदय को, पर नयनों की गागर भर जाती है । ‘जातिवाद’ से लड़ने की ऐसी वो अमिट कहानी है, संघर्षों की वेदि पर बलि कर दी …

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मेरे पथ के बोधि दीप- हिंदी कविता -अजय शोभने

मेरे पथ के बोधि दीप हिंदी कविता अजय शोभने

मेरे पथ के बोधि दीप हिंदी कविता अजय शोभने (प्रकृति का उच्चतम ज्ञान) मेरे पथ के बोधि दीप, तू अंधकार हर, प्रकाश कर। अखंड और अविरल जल, मेरा पगपग विकास कर। मेरा … तेरे प्रकाश में सत्य और अहिंसा के पथ-चलूँ, खुद दीपक बनकर, औरों को प्रकाशित करूँ। परोपकारी-जीवन जियूं और सदा होश में रहूँ, …

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