वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 8

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 8

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 8 88 . सहभोग्यमिदं राज्यम् : वैशाली की नगरवधू मध्याह्नोत्तर चतुरंगला छायाकाल में राजसभा का आयोजन हआ। कोसलपति महाराज विदूडभ छत्र – चंवर धारण किए सभाभवन में पधारे। उनके आगे- आगे सोमप्रभ नग्न खड्ग लिए और पीछे सेनापति कारायण खड्ग लिए चल रहे थे …

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वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 7

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 7

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 7 73. प्रसेनजित् का कौतूहल : वैशाली की नगरवधू देवी कलिंगसेना से वृद्ध महाराज प्रसेनजित् का विवाह निर्विघ्न सम्पन्न हो गया । देवी कलिंगसेना ने विरोध नहीं किया । सारे कार्य सुचारु रूप से हो गए। गान्धारराज ने ब्याह के यौतुक में बहुत – …

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वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 6

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 6

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 6 63. राजपुत्र विदूडभ : वैशाली की नगरवधू राजकुमार विदूडभ ने आचार्य के निकट आ अभिवादन कर आसन पर बैठकर कहा – “ आपने मुझे स्मरण किया था आचार्य ? ” “ तुम्हारा कल्याण हो राजकुमार! मुझे भासता है कि तुम्हें मेरी आवश्यकता है। …

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वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 5

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 5

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 5 48. सोम की भाव-धारा : वैशाली की नगरवधू बाहर आकर सोम थकित भाव से एक सूने चैत्य के किनारे एक वट-वृक्ष के सहारे आ बैठे। अपना विशाल खड्ग उन्होंने लापरवाही से एक ओर फेंक दिया। वह शून्य दृष्टि से आकाश को ताकते रहे। …

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वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 4

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 4

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 4 31. चम्पा में : वैशाली की नगरवधू मगध-सेनापति चण्डभद्रिक ने पटमण्डप में प्रवेश करके कहा—”मित्रो, अब वैशाखी के केवल पांच ही दिन बाकी रह गए हैं। उन्हीं पांच दिनों में मागधी सेना का और चम्पा के प्राचीन राज्य के भाग्य का निपटारा होना …

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वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 3 20. साकेत : वैशाली की नगरवधू कोसल-नरेश प्रसेनजित् साकेत में ठहरे थे, वे सेठी मृगार के पुत्र पुण्ड्रवर्धन के ब्याह में सदलबल साकेत आए थे। राजधानी श्रावस्ती यहां से छह योजन पर थी। सरयू के तट पर बसा यह नगर उस समय प्राची …

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वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 2 11. राजगृह : वैशाली की नगरवधू अति रमणीय हरितवसना पर्वतस्थली को पहाड़ी नदी सदानीरा अर्धचन्द्राकार काट रही थी। उसी के बाएं तट पर अवस्थित शैल पर कुशल शिल्पियों ने मगध साम्राज्य की राजधानी राजगृह का निर्माण किया था। दूर तक इस मनोरम सुन्दर …

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वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री Part 1

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री

वैशाली की नगरवधू (बौद्धकालीन ऐतिहासिक उपन्यास) : आचार्य चतुरसेन शास्त्री प्रवचन अपने जीवन के पूर्वाह्न में—सन् 1909 में, जब भाग्य रुपयों से भरी थैलियां मेरे हाथों में पकड़ाना चाहता था—मैंने कलम पकड़ी। इस बात को आज 40 वर्ष बीत रहे हैं। इस बीच मैंने छोटी- बड़ी लगभग 84 पुस्तकें विविध विषयों पर लिखीं, अथच दस …

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अहंकार (थायस : अनातोल फ्रांस) : अनुवादक प्रेमचंद

अहंकार (थायस : अनातोल फ्रांस) : अनुवादक प्रेमचंद

अहंकार (थायस : अनातोल फ्रांस) : अनुवादक प्रेमचंद अहंकार : भूमिका योरप में फ्रांस का सरस साहित्य सर्वोत्तम है। फ्रेंच साहित्य में अनातोल फ्रांस का नाम अगर सर्वोच्च नहीं तो किसी से कम भी नहीं, और ‘थायस’ उन्हीं महोदय की एक अद्भुत रचना है – हाँ, ऐसी विलक्षण साहित्यिक कृति को अद्भुत ही कहना उपयुक्त …

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आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 12 – प्रेमचंद

आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 12 – प्रेमचंद

आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 12 – प्रेमचंद आजाद-कथा : भाग 2 – खंड 106 आजाद सुरैया बेगम की तलाश में निकले तो क्या देखते हैं कि एक बाग में कुछ लोग एक रईस की सोहबत में बैठे गपें उड़ा रहे हैं। आजाद ने समझा, शायद इन लोगों से सुरैया बेगम के …

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