आजाद-कथा (उपन्यास) : रतननाथ सरशार – अनुवादक Part 11 – प्रेमचंद
आजाद-कथा : भाग 2 – खंड 101 आजाद पाशा को इस्कंदरिया में कई दिन रहना पड़ा। हैजे की वजह से जहाजों का आना-जाना बंद था। एक दिन उन्होंने खोजी से कहा – भाई, अब तो यहाँ से रिहाई पाना मुश्किल है। खोजी – खुदा का शुक्र करो कि बचके चले आए, इतनी जल्दी क्या है? …